Wednesday, 11 September 2019

मेरा गांव मेरा संसार,मेरा छोटा सा गाँव,mera gaov mera sansar,mera chhota sa ganv,gaov,

    ||छोटा सा गाँव मेरा||
  *मेरे लिये सारा संसार था।।*

*एक ज्ञानो नाई, एक रफीक काजी,
*एक निराना लुहार था.*

*छोटे छोटे घर थे पर ,*
*हर आदमी बङा दिलदार था.*

*कहीं भी रोटी खा लेते थे,*
*हर घर मे हमारा हुक्मरात था.*

*बड़ी, पापड़ की सब्जी मजे से खाते थे,* *जिसके आगे शाही पनीर बेकार था.*

*ना कोई मैगी ना पिज़्ज़ा...*
*झटपट पापड़, भुजिया, आचार, या फिर दलिया तैयार था.*

*नीम की निम्बोली और बेरिया सदाबहार था.*

*रसोई के परात या घड़े को बजा लेते,*
*दोस्तों पूरा संगीतकार था.*

*कपड़े धोने की साबुन लगा  नहा लेते,* *स्विमिंग पूल सब बेकार था.*

*और फिर घुता या कबड्डी खेल लेते,*
*हमें कहाँ क्रिकेट का खुमार था.*

*दादा दादी से कहानी सुन लेते,*
*कहाँ यूट्यूब और अखबार था.*

*भाई-भाई को देख के खुश था,*
*सभी लोगों मे बहुत प्यार था.*

*छोटा सा गाँव मेरा पूरा संसार था.*
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

गोविन्द पूनियां(देशी छोरा) कृत

Written by:- GOVIND POONIA

Somani,churu,Rajasthan



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