Saturday, 17 August 2019

जाग रे अब जूना जोगी... चारण की कविता charan kavita top charan kavi richhpaldan charan and govind poonia

जाग रे अब जूना जोगी...
____________________
जाग रे अब जूना जोगी,
भोगी मतना भव बंधन !
सुमरण किजै  शक्ति शंभु,
सुख पूरसी सबरै सदन ।।

सब जाण कर अनजाण क्यूं है,
 यूं मैं तुम  सूं  पूछता ।
कर गौर अब गिरजा सुतन,
क्यूं सांच सूं मुख मोड़ता ।।

उठ कलम धारण करत कर में,
भारत री लिख वेदना ।
सच नै है साबित करणू सच में,
लख्खन रेख ना भेदना ।



लिख राम रा सब काम रूठा,
कुड़  कपट्ट ना कहजै। 
अब आखजै अमृत वचन,
ज्यूं  शारदे सास्वत सजे ।।

अब धर्म धीरज धारण कर,
सब काम कर कल्याण का ।
मन मोह त्यागत छळ छंदन,
कथ किरत किनियांण का ।।
______________________
रिछपाल सिंह बारहठ रजवाड़ी
      (चारणवासी- चूरू)
    गोविन्द पूनिया देशी छोरा
            (सोमासी -चूरू)

No comments:

Post a Comment

एक और मुख्य मंत्री योगी और मोदी जैसे कड़े फैसले लेने लगे है

एक और मुख्य मंत्री योगी और मोदी जैसे कड़े फैसले लेने लगे है एक और मुख्य मंत्री योगी और मोदी जैसे कड़े फैसले लेने लगे है। credit: prg m...