बेरोजगारी का आलम ये है कि
दूसरा बेरोजगार पूछता है आजकल करता क्या है।।
कसूर मेरा नही पर सब कातिल नजरों से हैं देखते
भारी जब एक जाता है तो आती है दूसरे की बारी।।
दूसरे ने फरमाया तेरे दोस्त ने 20000 का काम पाया।
उसको को बताये की दोस्त ने तो 8000 ज्यादा
आपको खुश रखने को बताया।।
दोस्त मिला बोला मेरी तो जान घुटी इसलिये लेली छुटटी मेरा वंहा नही होता गुजारा कोई काम बता तेरा ही सहारा।।
घर वालो का भी ताना भारी सब लगे कमाने तू घर बैठा अनाड़ी।
कोइन समझाये की में नही अनाडी सब ने सेटिंग कर रखी है भारी,कुछ तो घर से दूर बैठे दिखाने को नर और नारी।।
अब 2 साल बाद एग्जाम आया यार लेकिन नही हुई नया पार,
में क्या करू बेरोजगारी ने दीमक लगा दी दिमाक के यार,
दूसरा बेरोजगार पूछता है आजकल करता क्या है।।
कसूर मेरा नही पर सब कातिल नजरों से हैं देखते
भारी जब एक जाता है तो आती है दूसरे की बारी।।
दूसरे ने फरमाया तेरे दोस्त ने 20000 का काम पाया।
उसको को बताये की दोस्त ने तो 8000 ज्यादा
आपको खुश रखने को बताया।।
दोस्त मिला बोला मेरी तो जान घुटी इसलिये लेली छुटटी मेरा वंहा नही होता गुजारा कोई काम बता तेरा ही सहारा।।
घर वालो का भी ताना भारी सब लगे कमाने तू घर बैठा अनाड़ी।
कोइन समझाये की में नही अनाडी सब ने सेटिंग कर रखी है भारी,कुछ तो घर से दूर बैठे दिखाने को नर और नारी।।
अब 2 साल बाद एग्जाम आया यार लेकिन नही हुई नया पार,
में क्या करू बेरोजगारी ने दीमक लगा दी दिमाक के यार,
यदि होता एग्जाम टाइम पे तो शायद में भी हो जाता पास।।
No comments:
Post a Comment