Tuesday, 23 July 2019

Charan Kavi Rajwari जय माँ इन्द्रेश इंद्र बाईसा की चिरजा चारण कृत

🌷!! जय माँ इन्द्रेश !!🌷
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       (  "दोहा" )
बरणू किरत बीसहथी,
देवी करजै दाय !
इंद्र करूँ अाराधना ,
सुत राखो शरणाय !!

चढयो चाव माँ छंद रो,
बंध न जाणु बिधान !
आखर दिज्यौे ओपता,
सुत री रखजै शान !!

साय करी सागर सुता,
पातां री प्रतिपाल !
अम्बा  शरणे आपरे ,
रजवाडी़ रिछपाल !!
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   🌷रोमकंद छंद🌷
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(रिछपाल सिंह बारहठ कृत)
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शुभ मास अषाढ़ सुदी नवमी

शुभ वार भृगू सगती सजती !

सन संवत बीस कमा एक सांप्रत

चार छवे बरसा बरती !

हिँगलाज तणो फरमान हुयो,

घर सागर के अवतार भयो !

जग तारण दास उबारण जोगण

आवड़ इंन्दर रूप जयो !

कुळ चारण पे उपकार कियो,

सुरराय इला अवतार लियो !!(1)


सब देव मुनीजन द्वार खडे़,

जस गान करे सहदेव बडे़ !

जुगती सज शंभु ज शंख पुरे

धर पुष्पन की बरसात पडे़ !

हद नाद सुनाद नगाड़ धुरे,

भव ऊपर आणद आज भयो !

जग तारण दास उबारण जोगण,

आवड़ इंन्दर रूप जयो !

कुळ चारण पे उपकार कियो,

सुरराय इला अवतार लियो !!(2)


मुख मण्डल सुंदर शोभित पेचज,

तेज तपे सम सूर जिया !

गहके गळ माय मनोहर मूरत,

कंचन लूंग जडा़व किया !

कर तेग त्रिसूळ सजे सँग केहर,

भेष पुरूष प्रधान भयो !

जग तारण दास उबारण जोगण,

आवड़ इंन्दर रूप जयो !!

कुळ चारण पे उपकार कियो,

सुरराय इला अवतार लियो !!(3)


मतिमंद गुमान गढ़ीपत मूरख,

लोवड़याळ कु ना लखियो !

मद पीवत बोल कुबोलत मूरख,

बोल बिरोटणी माँ बकियो !

नवलाख भई नभ पे मँडरावत,

चोंच चबाय ज काळ चयो !

जग तारण दास उबारण जोगण

आवड़ इंन्दर रूप जयो !

कुळ चारण पे उपकार कियो,

सुरराय इला अवतार लियो !!(4)


सुरराय सहाय करे निश वासर,

जो मन सूं नित जाप करे !

भवपार करे पतवार भवानिय

काज सँवार उदार करे !

दृग देवत जोत जगामग देविय

पंगुव पैर प्रदान दयो !

जग तारण दास उबारण जोगण

आवड़ इंन्दर रूप जयो !

कुळ चारण पे उपकार कियो,

सुरराय इला अवतार लियो !!(5)



मढ़ खूड़द मात घणू मनमोहक,

सूरग मात फिको सरसे !

मम भाग बणा महमाय कृपा कर,

देखण दो नयणा तरसे !

उपकार किजै अब बाळक पे ,

शुभ दर्शण मात हमेंश दयो !

जग तारण दास उबारण जोगण

आवड़ इंन्दर रूप जयो !

कुळ चारण पे उपकार कियो,

सुरराय इला अवतार लियो !!(6)


सुत राख सदां शरणे सगती,
भगती तणु दान हमें बगसो !
उजियास करो घट भीतर आ,
अँधियार करो अब तो मँगसो !
सुख सम्पति साज अबे समपो,
रिछपाल तणी रखवाळ रयो..!!
जग तारण दास उबारण जोगण
आवड़ इंन्दर रूप जयो !
कुळ चारण पे उपकार कियो ,
सुरराय इला अवतार लियो !! (7)
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           !! छप्पय !!
अंब अखू अरदास,महर किजै महाराणी !
आय  पूरिजै  आश ,अम्ब  मोटी इंद्राणी !!

मायड़ रखजे मान,कान करजै करुणाई !
देवी सुख कर दान ,सुत ऊभो  शरणाई !!

भव सागर गहरो भगवत्ती,पार  करज्यौ पतवार !
रखो रखवाळ रिछपाल री,इंदर आवड़ अवतार !!
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         रिछपालसिंह बारहठ"रजवाडी़" कृत
                    (चारणवासी - चूरू )
           गोविन्द पूनिया "देशी छोरा" द्वारा लिखित
                    (Somasi-churu)


आदरणीय महेन्द्र सा रतनू (मोडी़) के साथ माँ इन्द्र के चरणों में....🙏

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