🌷!! जय माँ इन्द्रेश !!🌷
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( "दोहा" )
बरणू किरत बीसहथी,
देवी करजै दाय !
इंद्र करूँ अाराधना ,
सुत राखो शरणाय !!
चढयो चाव माँ छंद रो,
बंध न जाणु बिधान !
आखर दिज्यौे ओपता,
सुत री रखजै शान !!
साय करी सागर सुता,
पातां री प्रतिपाल !
अम्बा शरणे आपरे ,
रजवाडी़ रिछपाल !!
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🌷रोमकंद छंद🌷
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(रिछपाल सिंह बारहठ कृत)
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शुभ मास अषाढ़ सुदी नवमी
शुभ वार भृगू सगती सजती !
सन संवत बीस कमा एक सांप्रत
चार छवे बरसा बरती !
हिँगलाज तणो फरमान हुयो,
घर सागर के अवतार भयो !
जग तारण दास उबारण जोगण
आवड़ इंन्दर रूप जयो !
कुळ चारण पे उपकार कियो,
सुरराय इला अवतार लियो !!(1)
सब देव मुनीजन द्वार खडे़,
जस गान करे सहदेव बडे़ !
जुगती सज शंभु ज शंख पुरे
धर पुष्पन की बरसात पडे़ !
हद नाद सुनाद नगाड़ धुरे,
भव ऊपर आणद आज भयो !
जग तारण दास उबारण जोगण,
आवड़ इंन्दर रूप जयो !
कुळ चारण पे उपकार कियो,
सुरराय इला अवतार लियो !!(2)
मुख मण्डल सुंदर शोभित पेचज,
तेज तपे सम सूर जिया !
गहके गळ माय मनोहर मूरत,
कंचन लूंग जडा़व किया !
कर तेग त्रिसूळ सजे सँग केहर,
भेष पुरूष प्रधान भयो !
जग तारण दास उबारण जोगण,
आवड़ इंन्दर रूप जयो !!
कुळ चारण पे उपकार कियो,
सुरराय इला अवतार लियो !!(3)
मतिमंद गुमान गढ़ीपत मूरख,
लोवड़याळ कु ना लखियो !
मद पीवत बोल कुबोलत मूरख,
बोल बिरोटणी माँ बकियो !
नवलाख भई नभ पे मँडरावत,
चोंच चबाय ज काळ चयो !
जग तारण दास उबारण जोगण
आवड़ इंन्दर रूप जयो !
कुळ चारण पे उपकार कियो,
सुरराय इला अवतार लियो !!(4)
सुरराय सहाय करे निश वासर,
जो मन सूं नित जाप करे !
भवपार करे पतवार भवानिय
काज सँवार उदार करे !
दृग देवत जोत जगामग देविय
पंगुव पैर प्रदान दयो !
जग तारण दास उबारण जोगण
आवड़ इंन्दर रूप जयो !
कुळ चारण पे उपकार कियो,
सुरराय इला अवतार लियो !!(5)
मढ़ खूड़द मात घणू मनमोहक,
सूरग मात फिको सरसे !
मम भाग बणा महमाय कृपा कर,
देखण दो नयणा तरसे !
उपकार किजै अब बाळक पे ,
शुभ दर्शण मात हमेंश दयो !
जग तारण दास उबारण जोगण
आवड़ इंन्दर रूप जयो !
कुळ चारण पे उपकार कियो,
सुरराय इला अवतार लियो !!(6)
सुत राख सदां शरणे सगती,
भगती तणु दान हमें बगसो !
उजियास करो घट भीतर आ,
अँधियार करो अब तो मँगसो !
सुख सम्पति साज अबे समपो,
रिछपाल तणी रखवाळ रयो..!!
जग तारण दास उबारण जोगण
आवड़ इंन्दर रूप जयो !
कुळ चारण पे उपकार कियो ,
सुरराय इला अवतार लियो !! (7)
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!! छप्पय !!
अंब अखू अरदास,महर किजै महाराणी !
आय पूरिजै आश ,अम्ब मोटी इंद्राणी !!
मायड़ रखजे मान,कान करजै करुणाई !
देवी सुख कर दान ,सुत ऊभो शरणाई !!
भव सागर गहरो भगवत्ती,पार करज्यौ पतवार !
रखो रखवाळ रिछपाल री,इंदर आवड़ अवतार !!
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रिछपालसिंह बारहठ"रजवाडी़" कृत
(चारणवासी - चूरू )
गोविन्द पूनिया "देशी छोरा" द्वारा लिखित
(Somasi-churu)
आदरणीय महेन्द्र सा रतनू (मोडी़) के साथ माँ इन्द्र के चरणों में....🙏
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( "दोहा" )
बरणू किरत बीसहथी,
देवी करजै दाय !
इंद्र करूँ अाराधना ,
सुत राखो शरणाय !!
चढयो चाव माँ छंद रो,
बंध न जाणु बिधान !
आखर दिज्यौे ओपता,
सुत री रखजै शान !!
साय करी सागर सुता,
पातां री प्रतिपाल !
अम्बा शरणे आपरे ,
रजवाडी़ रिछपाल !!
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🌷रोमकंद छंद🌷
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(रिछपाल सिंह बारहठ कृत)
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शुभ मास अषाढ़ सुदी नवमी
शुभ वार भृगू सगती सजती !
सन संवत बीस कमा एक सांप्रत
चार छवे बरसा बरती !
हिँगलाज तणो फरमान हुयो,
घर सागर के अवतार भयो !
जग तारण दास उबारण जोगण
आवड़ इंन्दर रूप जयो !
कुळ चारण पे उपकार कियो,
सुरराय इला अवतार लियो !!(1)
सब देव मुनीजन द्वार खडे़,
जस गान करे सहदेव बडे़ !
जुगती सज शंभु ज शंख पुरे
धर पुष्पन की बरसात पडे़ !
हद नाद सुनाद नगाड़ धुरे,
भव ऊपर आणद आज भयो !
जग तारण दास उबारण जोगण,
आवड़ इंन्दर रूप जयो !
कुळ चारण पे उपकार कियो,
सुरराय इला अवतार लियो !!(2)
मुख मण्डल सुंदर शोभित पेचज,
तेज तपे सम सूर जिया !
गहके गळ माय मनोहर मूरत,
कंचन लूंग जडा़व किया !
कर तेग त्रिसूळ सजे सँग केहर,
भेष पुरूष प्रधान भयो !
जग तारण दास उबारण जोगण,
आवड़ इंन्दर रूप जयो !!
कुळ चारण पे उपकार कियो,
सुरराय इला अवतार लियो !!(3)
मतिमंद गुमान गढ़ीपत मूरख,
लोवड़याळ कु ना लखियो !
मद पीवत बोल कुबोलत मूरख,
बोल बिरोटणी माँ बकियो !
नवलाख भई नभ पे मँडरावत,
चोंच चबाय ज काळ चयो !
जग तारण दास उबारण जोगण
आवड़ इंन्दर रूप जयो !
कुळ चारण पे उपकार कियो,
सुरराय इला अवतार लियो !!(4)
सुरराय सहाय करे निश वासर,
जो मन सूं नित जाप करे !
भवपार करे पतवार भवानिय
काज सँवार उदार करे !
दृग देवत जोत जगामग देविय
पंगुव पैर प्रदान दयो !
जग तारण दास उबारण जोगण
आवड़ इंन्दर रूप जयो !
कुळ चारण पे उपकार कियो,
सुरराय इला अवतार लियो !!(5)
मढ़ खूड़द मात घणू मनमोहक,
सूरग मात फिको सरसे !
मम भाग बणा महमाय कृपा कर,
देखण दो नयणा तरसे !
उपकार किजै अब बाळक पे ,
शुभ दर्शण मात हमेंश दयो !
जग तारण दास उबारण जोगण
आवड़ इंन्दर रूप जयो !
कुळ चारण पे उपकार कियो,
सुरराय इला अवतार लियो !!(6)
सुत राख सदां शरणे सगती,
भगती तणु दान हमें बगसो !
उजियास करो घट भीतर आ,
अँधियार करो अब तो मँगसो !
सुख सम्पति साज अबे समपो,
रिछपाल तणी रखवाळ रयो..!!
जग तारण दास उबारण जोगण
आवड़ इंन्दर रूप जयो !
कुळ चारण पे उपकार कियो ,
सुरराय इला अवतार लियो !! (7)
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!! छप्पय !!
अंब अखू अरदास,महर किजै महाराणी !
आय पूरिजै आश ,अम्ब मोटी इंद्राणी !!
मायड़ रखजे मान,कान करजै करुणाई !
देवी सुख कर दान ,सुत ऊभो शरणाई !!
भव सागर गहरो भगवत्ती,पार करज्यौ पतवार !
रखो रखवाळ रिछपाल री,इंदर आवड़ अवतार !!
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रिछपालसिंह बारहठ"रजवाडी़" कृत
(चारणवासी - चूरू )
गोविन्द पूनिया "देशी छोरा" द्वारा लिखित
(Somasi-churu)
आदरणीय महेन्द्र सा रतनू (मोडी़) के साथ माँ इन्द्र के चरणों में....🙏